टैक्नालाजी का नया युगप्यार का युग

फिल्म


सविता बजाज


देख तेरे संसार की हालत क्या हो गई भगवान कितना बदल गया इंसान।


यह दुनिया अगर मिल भी जाये तो क्या हो। औरत ने जनम दिया मर्दो को मर्दो ने उसे बाजार दिया।


स्व. कवि प्रदीप, साहिर लुधियानवी जैसे सुविख्यात शायर इस धरती पर कम ही पैदा होते हैं। वक्त की नब्ज को पहचाना और जीते जी संसार की जीती जागती पीड़ा को व्यक्त किया। मुझे अभी तक याद है जब मैं कवि प्रदीप जी के विले पार्ले वाले बंगले पर गई थी तो उनसे 'धर्मयुग' पत्रिका के लिए साक्षात्कार का अनुरोध किया था। आपने मेरे सामने हाथ जोड़ बड़ी विनम्रता से मना कर दिया था और बोले बस सविता जी, सब छोड़ दिया है, बुरा मत मानना। साहिर साहब से तो कभी मिलना हुआ ही नहीं, बहुत मसरूफ रहते थे। स्व. गुरुदत्त जी की जीवनी पढ़ी थीइस्मत चुगताई द्वारा लिखी “एक अजीब आदमी" पढ़-पढ़ कर रोती थी मैं। बड़ा आदमी बड़ा फिल्मकार, एक्टर, निर्देशक ‘प्यासा' और 'कागज के फूल' जैसी फिल्मों का जन्मदाता एक एक्ट्रेस के प्यार में पड़कर अपना जीवन खत्म कर देता है। बच्चों का पिता था, पत्नी का प्यारा पति जिसने कभी उससे प्रेम विवाह किया था, क्या प्यार अंधा होता है, उम्र आढ़े नहीं आती। सोचती हूं तो जिंदगी का चक्र दिमाग में घूमने लगता है। कितने मोहब्बत के अफसाने बने कितनों को कामयाबी मिली। कितनों के साथ प्यार मोहब्बत के नाम पर छलकपट हुआ। कितनों को कुरबानियां देनी पड़ी।


__ हमारा कल्चर सभ्यता ऐसी थी कि प्यार मोहब्बत को सरेआम व्यक्त नहीं किया जाता था क्योंकि शर्म और लाज का पर्दा था। फिल्मों की ही बात लीजिए प्यार को स्क्रीन पर दो फूल दिखाकर व्यक्त करते थे लेकिन वक्त के साथ-साथ पश्चिम की हवा बहने लगी। बोल्ड फिल्म बनने लगी और फिल्म की औरतें भी बोल्ड होने लगीं। कपड़े, मेकअप, अदाकारी, रहने, खाने-पीने का ढंग सब कुछ इतनी जल्दी बदला कि हैरत होती है। दुकानों की जगह माल हो गये हैं, घर बैठे शॉपिंग करो पिज्जा मंगवाओ सब मोबाइल पर मुमकिन है जिसके लिए ढेर सारा पैसा भी तो चाहिए। इसलिए कमाई के नये रास्ते खुल गये हैं जो आबादी तो कम बर्बादी की ओर ज्यादा जा रहे हैं क्योंकि लड़कियों को बुलाने के नये-नये तरीके ईजाद किये जा रहे हैं।


आज के बदलते युग में मैं रिश्ते और संबंधों की भी बात जरूर करूंगी जो वक्त के साथ-साथ सड़ने लगे हैं, फीके पड़ने लगे हैं। वैसे भी स्वार्थ हर भावना के साथ जुड़ा होता है और जब तक भावना कुलबुलाती है, फड़फड़ाती है, संबंध जीवित रहते हैं, जब मर जाते हैं तो एक नया अध्याय शुरू होता है। संबंधों की आड़ में आज का युवा वर्ग ज्यादा फंस रहा है, प्यार का बुखार चढ़ रहा है, धोखा फरेब का जाल बुना जा रहा है और सब संबंधों के लालच में हो रहा है लिव इन रिलेशनशिप का बाजार भी गर्म है। जब तक मन नहीं भरता ठीक है नहीं तो तू नहीं और सही। पहले भी बहुत सारे नामी-गिरामी लोगों ने ऐसा किया अब भी कर रहे हैं जवानी अंधी होती है न। शादी ब्याह बहुत कम मर मरके निभाये जाते हैं। दहेज का राक्षस बरसों से जिंदा है शायद कभी मरेगा ही नहीं बहुत तरह के बदलाव आ गये हैं जीवन में। प्रकृति से भी खिलवाड़ हो रहा है मौसम पहले जैसी गर्मी-सर्दी नहीं देते, बेमौसम बरसात होती है। चारों दिशाओं में प्यार की धारा बह रही है, अच्छी बात है लेकिन धारा बह कर कहां जा रही है भई, यह तो जानें। जब लड़कियां अपने पैरों पर खड़े होना चाहती हैं, ठीक है, कई बार घर बार छोड़ना पड़ता है लेकिन यह कदम सोच समझ कर उठाना चाहिए और पतझड़ का मौसम झेलने के लिए भी तैयार रहना चाहिए, क्योंकि वक्त के साथ बहुत कुछ बदल जाता है। भाई-भाई नहीं रहता और घर की पराई औरतें कब आपको बेगाना बना दें। कब आपके घर के दरवाजे आपके लिए बंद कर दे कौन जाने। वैसे भी जब जिंदगी बदलती है तो तब्दीली तो आती है सब कुछ पहले जैसा नहीं रहता। कहते हैं न 'कुछ पाने के लिए कुछ खोना भी पड़ता है।' आज का युग सिर्फ और सिर्फ पैसे का युग है। विश्वास शब्द का अर्थ ही बदल गया है शायद मर गया है या अंतिम सांसें ले रहा है।


पाठकों मैंने भी इस विश्वास शब्द के नाम पर बहुत धोखे खाये। इस श्रेणी में


अपने पराये बहुत तरह के लोग थे। ढ़लती उम्र में भी दो लड़कों ने मां-मां कहकर मुझे ममता के जाल में फंसाया खूब मेरा पैसा लूटा लेकिन मैं अब संभल चुकी हूंदोनों लड़कों को लताड़ा और अपना पैसा वापस पाया।


पाठकों, यह मैं आपको इसलिए बता रही हूं कि सबसे आसान तरीका आजकल यही है किसी से छल कपट करने का, प्यार की गंगा बहा दो, यही तो आज का चलन है। आज के युग में बहुत सतर्क रहने की जरूरत है। यह दुनिया सीधे-सादे लोगों की नहीं है। वैसे भी जो किसी की मदद करता है वही धोखा खाता है, पीड़ा सहता है। आज का युग टेक्नोलॉजी का युग है जहां जिंदगी के मायने ही बदल गये हैं। घर बैठे-बैठे मोबाइल पर ऑर्डर दो। पैसा, कपड़ा, बर्तन, क्रीम पाउडर, चड्डी-बनियान, पिज्जा जो चाहिए लेकिन इस सुविधा के लिए टाटा, बिरला या फिर अंबानी की राह पर चलना पड़ेगा।


फिल्मी दुनियां जीवन का एक अहम हिस्सा है, रहेगा। कोई भी क्षेत्र इसके बिना अधूरा है। टी.वी. पर फिल्में, सीरियल, दूसरे प्रोग्राम, एड, गाना-बजाना, नृत्यचित्रकारी, खाना बनाना सबके बिना जीवन सूना है। बड़े-बड़े स्टार तो शॉपिंग करने विदेश जाते हैं। बाइक, कारों से बम्बई लबालब भर गया है। एक्सीडेंट ज्यादा हो रहे हैं क्योंकि हर चीज की अति हो गई है। पुराने कलाकार हाथ पर हाथ धरे बैठे हैं क्योंकि आम आदमी कलाकार बन रहे हैं।


 हां अगर औरत किसी जगह दिखाई नहीं जाएगी तो दर्शक क्या देखेंगे। नई गाड़ी का ऐड हो तो पहिए की तुलना औरत के बदन से की जाती है। सब टी.वी. का बिजनेस औरत की वजह से ही तो फलफूल रहा है।


नये युग में सबसे ज्यादा बदलाव अगर आया है तो वह 'आई लव यू' का चलन है। ब्याय फ्रेंड, गर्ल फ्रेंड का चलन है। स्कूल के बच्चे भी इस विधा में बह रहे हैं। थोक के भाव यह चलन बम्बई में फल-फूल रहा है। पहले भी इन संबंधों की आड़ में नये-नये अफसाने जनम लेते थे अभी भी लेते हैं। पहले शर्मोहया का पर्दा था, जो अब हट गया है। पहले भी गाने बनते थे जैसे- चुम्मा-चुम्मा दे दे। देदे प्यार दे। आज किस-किस करते हैं खुले आम टी.वी.,फिल्म में किस की बौछार होती है मैं अपनी ढलती उम्र में आज के युग में अपने आपको फिट करने की कोशिश में लगी हुई हूं जो बहुत कठिन है। इस नये जमाने से नये लोगों से मुझे डर लगता है। अकेली रहती हूं, लोगों को पता है फिल्म वाली हूं, बहुत दोस्ती करने की कोशिश करते हैं और कहते हैं आंटी आप तो पुरानी कलाकार हैं हमें भी टी.वी. या फिल्मों में काम दिलाइये न। मैं सब समझ उत्तर देती हूं बेटा, अभी तो बेवसाइट का जमाना है। ऑडीशन दो और कलाकार बन जाओ। कहने का मतलब इस ढलती उम्र में भी लोग मुझे शांति से जीने नहीं देते। पैसा नाम की भूख किसी का पीछा नहीं छोड़ती। सारी उम्र लोगों की सेवा की। किसी को एक्टर का काम दिलवाया किसी को लेखक बनाया या सिंगर लेकिन बदले में कोई बैंक्यू कहने भी कभी नहीं आयाअब क्या आएगा। मैं आज की नई पीढ़ी से कहूंगी सतर्क रहो। ब्वाय फ्रेंड, गर्ल फ्रेंड की रेस से बाहर रहो। सही मायने में ऐसा है ही नहीं। इन रिश्तों से कई जिंदगियां बर्बाद हो रही हैं । गलतफहमियां पैदा हो रही हैं । जीवन बस ऐसे ही चलता रहता हैहर पल जीने का नाम ही तो जिंदगी है। नये रास्ते तलाश करो, जीवन चलते रहने का नाम है। कभी जुगाड़ कभी अलगाव । प्यार नफरत रूसवाईयां, तन्हाईयां सभी प्यार में विच्छेद आने पर सहने पड़ते हैं। मानों प्यार प्यार न होकर मूली गाजर हो खाया और फेंक दिया। वैसे भी एकतरफा प्यार आग की तरह होता है और इंसान उस आग में झुलसता रहता है। एक शेर अर्ज है -


जीना है गर जहान में तो मुस्कराइये।


दिल में जो दर्द है, वह जुबां पर न लाइये।।