लौटना मां के पास

कविता


राजेन्द्र उपाध्याय


मां के पास लौटता हूं बार-बार


बगैर किसी आमंत्रण के


कभी भी किसी भी वक्त-बेवक्त


कभी कुछ खाये, कभी कुछ भी न खाये


कभी-कभी तो ऐसे भी लौटता हूं जैसे


बरसों से कुछ भी न खाया हो।


खाकर भी गया हूं


तो भी खाकर आया हूं


पहनकर गया हूं


तो भी पहनकर आया हूं


मां के पास गरीबी में भी


मेरे लिए रहा है कुछ न कुछ


मूड़ी हो या भुनी हुई हरी मिर्च


वही रही मेरे लिए अमृत


जाता हूं कई बार पहनकर सूट-बूट


और पाता हूं जैसे मां के सामने कुछ भी नहीं पहन रखा है


वैसे ही हूं जैसे उसने मुझे पैदा किया होगा।


अक्सर सपने में नहलाती है वह


जब धूल में लथपथ धूप में लाल होकर गया हूं


मलहम लगा रही है मेरी खरौंचों पर जहां-तहां


यह देह जितनी मेरी उतनी ही मां की है


मां के पास गया हूं अगहन में, माघ में, भादों में, जाड़े में, बरसात में


जनवरी में, जुलाई में


कभी एकदम भोर में, तो कभी सरेशाम


गर्मियों में तपती छत पर ठंडे तकिये की तरह मां का हाथ है सिर पर


सर्दियों में वह गरम रजाई


और मैं वही बचपन का लड़का जिसका कोई नाम नहीं।


अवकाश प्राप्त अफसर


अब उनके कर कमल' नहीं रहे।


जबसे उनके कर कमल हो गए थे


वे मुझसे नजरें नहीं मिलाते थे।


उनकी नजरें नीचे नहीं झुकती थी


अब उनकी देह वातानुकूलित नहीं रही


जबसे उनकी देह वातानुकूलित हुई थी


वे नहाते वक्त शिकायत करते थे कि


ऐसी किसी ने बंद कर दिया है।


दिनभर एसी वाला उनकी देह और उनके कमरे का


तापमान मापता रहता था।


वे भूख न होने पर भी लंच एक बजे कर लेते थे


अब भूख होने पर भी कोई उनकी मेज पर


लंच गरम करके नहीं रखता


पदभार ग्रहण करते ही वे अचानक


मातृभाषा की सेवा ज्यादा करने लगे थे


उनकी स्टैनो मातृभाषा की सेवा करते-करते थक गई थी।


अब भी वे चाहते हैं कि मातृभाषा की सेवा करें


पर प्रेरणा नहीं आती


प्रेरणा मातत्व अवकाश पर चली गई है।


पहले वे बहुत आभार प्रकट करते थे


अब पत्नी का भी आभार प्रकट करते हैं


जब वो उनके लिए चाय बनाती हैं।


अब उनका भार ज्यादा हो गया है


सीढ़ी से चढ़ उतर नहीं पाते


लिफ्ट का बटन सपने में भी दबाते रहते हैं।


जिनको उन्होंने इस आशा से उपकृत किया था कि


बाद में वे भी उपकृत करेंगे


वे संपादक निदेशक अब उनका फोन भी नहीं उठाते


हवाई जहाज में आते जाते उनकी आदत अब ऐसी है


कि राजधानी में भी पीठ अकड़ जाती है, जबकि ए सी है।