कविता
मंजूषा मन
भोर और साँझ के बीच
थी एक लंबी दूरी
एक पूरा दिन...
भोर ने शुरू किया सफर
मंजिल तक जाने का
दौड़ते हाँफते
भागी पूरा दिन...
आकाश की तश्तरी पर रखे
सूरज की सिंदूरी डिबिया..
झुलसती रही
सहती रही जलन
और खोया अपना अस्तित्व...
पूरी उम्मीद थी
कि इस सफर में
कहीं न कहीं/ कोई न कोई
तक रहा होगा राह
किसी को तो होगा इंतजार,
लहूलुहान पैर, झुलसी काया ले
तै हुआ पूरा सफर,
न मिला कोई
हाथ आई केवल निराशा...
भोर ने छोड़ी नहीं उम्मीद की डोर
अगले दिन फिर
शुरू हुआ यही सफर...
धरती घूमती रही अपनी धुरी पर
जीवन चलता रहा
अपनी रफ्तार में...
क्लब की सभ्य औरतें
एक-दूसरे को देखकर
लगभग चार इंच तक
होंठो को फैलाकर मुस्कुराती हैं
हाथ मिलाती हैं
और गले लगतीं हैं...
याद करती हैं कोई वाकया
आपस में कहती हैं कोई घटना
जोरदार खनखनाती हँसी में
डूबा देती हैं पूरा माहौल...
हाल पूछतीं हैं,
अपना सुनाती हैं
सब एकदम फर्स्ट क्लास है
एकदम दुरुस्त ऐसा कहती हैं...
दो घंटे की क्लब मीटिंग में
रह-रह कर गूंजते हैं ठहाके
सबके एक ही अंदाज में,
सुरीली सी आवाज में
सुनाई देती हैं अनगिनत बातें,
तारीफों के ऊंचे-ऊंचे पुल
आपका गाना-आपका खाना,
आपके झुमके-आपके ठुमके,
आपकी साड़ी-आपकी गाड़ी,
आपका ये-आपका वो
क्या-क्या...
मैं बरबस करती हूं प्रयास
मुस्कुराने का
पर होंठ फैलने से साफ इंकार कर देते हैं,
हँसना चाहती हूँ
पर गले में कुछ अटक जाता है...
ये सब मुझे नहीं आता
या मैं इनसे कुछ अलग हूँ
या मुझमें कुछ डिफेक्ट है
शायद मैं सभ्य नहीं हूँ...
क्योंकि अब तक है मेरे पास
खालिस प्रेम
शुद्ध अपनापन....
झूला
दुनिया के मेले में कितनी रौनकें हैं
शोर शराबा, हल्ला-गुल्ला,
रँग बिरंगी रोशनियाँ
लक-झक करती चाँदनी भी है...
यहीं लगा है मेरी, तुम्हारी,
हम सबकी जिंदगी का बड़ा सा...
पचास पालकियों वाला झुला
और इसकी हर पालकी में
टुकड़ों में सवार है जिन्दगी...
किसी पालकी में रिश्ते रखे हैं
किसी में सपने
किसी में सुख चैन,
पास वाली बहुत सी पालकियों में
जाने कहाँ से जबरन घुस आए
दुख, बेचैनी, तड़प, दर्द
अधूरापन, सन्नाटा, हार भी...
झूला घूमने के साथ
बन्ध जाती है आस
कि ये पालकी घम पहँच जाएगी
खुशियों की पालकी के करीब...
लगातार घूमने पर भी
दूर ही रहती हैं वे पालकियाँ...
पास वाली पालकियों में
गजब का शोर है
और ख्वाहिशों की पालकी
लटकी हुई है दूर
लटकी हुई है दूर
डरी सहमी सी...
जिंदगी तुम....
एक बड़े से झूले सी लगती हो।।