रहस्यमयी पृथ्वी का जन्म-विकास

विज्ञान


डॉ. पी.डी. सर्राफ


विश्वंभरा वसुधानी प्रतिष्ठा


हिरण्यवक्षा जगतो निदेशनी


वैश्नानरं विभ्रति भूमिरविन


मिन्द्र ऋषभा द्रविणे नो दधातु


यह पृथ्वी, जो अपने में अग्नि को समेटे हुए हैं, जो सभी को आहार प्रदान करती है, जो स्वर्णमयी है और मणियों व बहुमूल्य सामग्रियों से परिपूर्ण है, जो सभी का पालन-पोषण करती है, जो अपने में भी सभी कुछ समाहित किये हुए है और समस्त प्राणियों को रहने के लिए स्थान प्रदान करती है, हमें धन व स्वर्णिम भविष्य प्रदान करे।


__ * पृथ्वी एक विशाल जीवंत प्राणी की तरह है। इसका जन्म हुआ, इसका क्रमिक विकास हुआ। इसके गर्भ में असंख्य प्रक्रियाएं चलती रहती हैं। इसमें गुरुत्वाकर्षण शक्ति व चुम्बकत्व है।


___ * पृथ्वी सौरमंडल की सदस्य है तथा इसकी आयु लगभग 460 करोड़ वर्ष आंकी गई है। पृथ्वी का केंद्र उसकी सतह से 6370 कि.मी. की गहराई पर स्थित है। इसका केंद्र बहुत अधिक गर्म है तथा वहां तापमान लगभग 5,000 डिग्री सें.तथा दबाव पृथ्वी की सतह पर वायुमंडलीय दबाव से 35 लाख गुना ज्यादा है।


* जब पृथ्वी बनी तब तक वह बहुत ज्यादा गर्म थी और प्राणवायु ऑक्सीजनभी नहीं थी। करोड़ों साल बाद पृथ्वी ठंडी बनी, समुद्र बने, ऑक्सीजन बनी तथा करीब 3 अरब वर्ष पृथ्वी पर प्रथम जीव बनी।


आज से करीब 1 अरब वर्ष पूर्व तक पृथ्वी को बनाने वाले समस्त तत्वों में समरूपता थी, परंतु जैसे-जैसे पृथ्वी का आकार बढ़ता गया उसमें परिवर्तन आता गया। अधिक घनत्व वाले तत्वों का जमाव पृथ्वी के केंद्र व उसके आसपास होता गया तथा घनत्व वाले तत्व तरल अवस्था में उनके ऊपर जमा होते चले गये। हल्का तरल द्रव्य सबसे ऊपर जमा होता गया जो कालांतर में ठंडा होकर ठोस बनकर पृथ्वी की ऊपर सतह का निर्माण किया। महासागर, महाद्वीपों, पर्वतों आदि के उद्भव विकास में अरबों वर्ष लगे।


__ पृथ्वी संभवतः एकमात्र ऐसा स्थान हो, जहां जीवन है। मनुष्य का प्रादुर्भाव करीब 10 लाख वर्ष पूर्व हुआ


__ पृथ्वी निरंतर एक विशाल जीवंत प्राणी की तरह है, जो अपने ही द्वारा निर्धारित प्रक्रियाओं द्वारा संचालित होती रहती है। इसका क्रमिक विकास हुआ।


__ पृथ्वी निरंतर एक विशाल जीवंत प्राणी की तरह है, जो अपने ही द्वारा निर्धारित प्रक्रियाओं द्वारा संचालित होती रहती है। इसका क्रमिक विकास हुआ।


* उपग्रहों से जो चित्र प्राप्त हुए हैं, उनसे पता चलता है कि पृथ्वी एक नीले रंग का गोला है, जिसके चारों तरफ घोर अंधेरा दिखाई देता है।


* एक अंतरिक्ष यात्री ने तो कहा था कि पृथ्वी का नाम 'जल' होना था, क्योंकि पृथ्वी का नीला रंग पृथ्वी पर स्थित 72 प्रतिशत से ज्यादा पानी के कारण दिखाई देता है।


समस्त पृथ्वी की सतह का क्षेत्रफल लगभग 20 करोड़ वर्ग मील है, उसमें से लगभग 14 करोड़ वर्ग मील की सतह पर पानी ही पानी है।


समस्त महानगरों में पानी की मात्रा 3,20,000 घन मील है।


* पृथ्वी अंतरिक्ष में असंख्य यत्र-तत्र बिखरे गोलों में से एक है। सौर मंडल के अन्य ग्रहों के साथ-साथ पृथ्वी भी अंतरिक्ष में 72,000 किमी/प्रतिघंटा की गति से विचरण कर रही है।


अपने कक्ष में यह सूर्य के चारों तरफ चक्कर भी लगा रही है। सूर्य की परिक्रमा 1 लाख किमी/प्रतिघंटा की गति से चक्कर लगती है तथा उसे यह परिक्रमा लगाने में 365 दिन लगते हैं।


दूसरे शब्दों में हम सब पृथ्वी नामक उपग्रह पर सवारी कर न केवल अंतरिक्ष में विचरण कर रहे हैं वरन सौरमंडल में भी पृथ्वी पर रहकर हर वर्ष सूर्य के चारों तरफ परिक्रमा कर रहे हैं, हजारों मील की यात्रा कर रहे हैं।


* पृथ्वी विचरण करते-करते अपनी धुरी पर भी घूमती है-भंवरे के समान। पृथ्वी के ऊपर स्थित हर वस्तु 24 घंटे में एक चक्कर लगाती है। इस चक्कर लगाने की गति पृथ्वी पर स्थित अलग-अलग स्थानों पर अलग-अलग होती है। भू-मध्यरेखा के पास यह गति 40,000 किमी/ प्रति दिन होती है वहीं दक्षिण या उत्तरी ध्रुव पर स्थित वस्तु के लिए यह गति नगण्य होती है।


पृथ्वी पूर्व की ओर घूमती है इसलिए सूर्योदय पूर्व की ओर से होता है।


* पूरे साल में ऋतुएं आती हैं, क्योंकि पृथ्वी अपनी धुरी पर झुकी है। पृथ्वी सूर्य का चक्कर लगाती है। इस झुकाव के कारण पृथ्वी का वह हिस्सा (गोलार्ध) जो सूर्य के करीब होता है, वहां गर्मी की ऋतु रहती है तथा दूसरे गोलार्ध पर शीत ऋतु ।


* पृथ्वी का भार-66 लाख X105 टन।


* क्षेत्रफल-20 करोड़ वर्ग मील है।


* पृथ्वी मोटे तौर पर अपनी धुरी पर करीब 366.66 बार चक्कर काटती है और यह समय की लंबाई एक सायरियर वर्ष है, जो 365.26 सोलर दिवस के बराबर है।


* पृथ्वी पूरी तरह गोल नहीं रहती। यह पोलस (ध्रुवों पर) चपटी होती है और भू-मध्य रेखा पर उभरी है। इसके कारण इसकी त्रिज्या (radius)ध्रुवों पर भू-मध्य रेखा की अपेक्षा 43 किमी छोटी होती है।


 * ग्रीनलैंड दुनिया का सबसे बड़ा द्वीप (island) है, जिसका क्षेत्रफल 8,39,999 वर्ग मील है। इसका अधिकांश हिस्सा बर्फ से ढका रहता है- यहां अतिशय ठंडी रहती है, क्योंकि यह उत्तरी ध्रुव से मात्र 450 मील दूर है।


* लगभग 42.5 करोड़ वर्ष पूर्व पृथ्वी के सारे महाद्वीप एक ही जगह पर इकट्ठे थेउस समय उत्तरी अमेरिका व यूरोप भू-मध्य सागर के पास स्थित थे। 25 करोड़ वर्ष पूर्व पेन्जिया सुपर महाद्वीप बना।


* 21 करोड़ वर्ष पेन्जिया-टूटा तथा निम्न।


(1) लारेशिया (उत्तरी गोलार्थ के महाद्वीप)


(2) गोन्डवाना (दक्षिणी गोलार्ध के महाद्वीप)- बने।


* लगभग 13.5 करोड़ वर्ष पूर्व गोंडवाना भी टूटा तथा दक्षिणी अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, भारत, एन्टार्कटिका विघटित होकर विस्थापित होते गये।


* यद्यपि पृथ्वी का जन्म लगभग 4 अरब 60 करोड़ वर्ष पूर्व हुआ था, पर पृथ्वी पर उनके जन्म के पहले एक अरब वर्षों तक कुछ भी नहीं था, क्योंकि उस समय तक ऐसी परिस्थितियां बनी थी, जिनसे जीवन की संभावना बनती। उस समय प्राणवायु ऑक्सीजन नहीं थी।


* पृथ्वी की सतह पर जो सबसे पुरानी चट्टान पायी गयी है, उसकी आयु 3 अरब 8 करोड़ वर्ष आंकी गई। स्कॉटलैंड (U.K.) में 3.5 अरब वर्ष पुरानी चट्टानें मिलती हैं।


* पृथ्वी पर जीवन का विकास भी लगभग 3.8 अरब वर्ष पूर्व हुआ, क्योंकि उस समय तक वातावरण में हाईड्रोजन, नाईट्रोजन, कॉर्बन डाइ-ऑक्साइड, जलवाष्प आदि का मिश्रण हो चुका था। कालांतर में ऑक्सीजन की वृद्धि हुई, जो जीवन को प्रदान करने में सहायक हुई।


* ऐसा अनुमान लगाया है कि जीवन का प्रारंभ समुद्र तल में गहरे गड्ढों में हुआ होगा, जहां कि हाईड्रोथर्मल ऊष्मा निकलती है।


* सबसे पहले बैक्टीरिया बने। इनका निर्माण समुद्र में हुआ। इनमें से पौधों के रूप में विकसित हुए। इन पौधों से ऑक्सीजन बनी जो कि अन्य जीवों के निर्माण में सहयोगी बनी।


* कई लाखों वर्षों तक जीवन समुद्र के अंदर ही पनपता रहा। समुद्र में अनेक प्रकार के प्राणियों को जन्म मिला, जिनमें प्रमुख शेल फिश (shell fish), कीड़े, स्पान्ज, जेली फिश इत्यादि। इन सभी की रीढ़ की हड्डी नहीं होती।


* लगभग 44 करोड़ वर्ष पूर्व थल पर जिस जीव का निर्माण हुआ, वह वनस्पति के रूप में उभरा तथा करीब 40 करोड़ वर्ष पूर्व प्राणि का जन्म हुआ, जैसे कीड़े मकोड़े, बिच्छू, जो थल पर विचरण करने लगे।


* प्रथम जीव जो पृथ्वी पर आये वे इतने छोटे थे कि पिन की नोक पर हजारों रह सकते थे।


* पृथ्वी एकमात्र ऐसा स्थान है, जहां जीवन है। जीवन के लिये:


(1) जल एक आवश्यक तत्व है-पृथ्वी की सतह पर 71 प्रतिशत जल महासागरों के रूप में घिरी है।


(2) ऑक्सीजन एक आवश्यक तत्व है-जो हवा के माध्यम से पृथ्वी पर है।


(3) तीसरी आवश्यकता वायुमंडल है, जो पृथ्वी को सूर्य की हानिकारक विकिरणों से बचाता है।


(4) पृथ्वी की सूर्य से दूरी एक आदर्श परिस्थिति का निर्माण करती है। यदि पृथ्वी सूर्य के पास होती तो गर्मी अधिक होती जो जीवन के लिए हानिकारक सिद्ध होती। यदि सूर्य से और अधिक दूरी होती तो भी जीवन की संभावना कम हो जाती है।


* जब पृथ्वी बनी तक वह बहुत ज्यादा गर्म थी- करोड़ों साल बाद पृथ्वी ठंडी बनी, समुद्र बने, ऑक्सीजन बनी, वायुमंडल बना।


क्रोड (core)


* पृथ्वी के केंद्र में आंतरिक क्रोड (core) का तापमान 5000°C तथा दबाव 35 लाख गुना वायुमंडलीय दबाव से आंतरिक क्रोड निकिल व लोहे से निर्मित है।


पृथ्वी का केंद्र 6,370 कि मी गहराई पर है।


* बाहरी क्रोड (outer core) तरल निकिल व लौह तत्वों से बना है। जो कि आंतरिक क्रोड के चारों ओर घूमता है, जिससे कि पृथ्वी का चुंबकत्व भी बनता है।


पृथ्वी एक विशाल चुंबक की तरह कार्य करती है


* गुरुत्व के कारण अरबों वर्ष पहले पृथ्वी के केंद्र में ठोस तत्व जमा होते गये उनमें प्रमुख लौह तथा निकिल थे। अत्यधिक दबाव के कारण आंतरिक कोड ठोस बना।


मेंटल (Mantle)


* पर्पटी (crust) के नीचे 2,900 किमी तक जो पृथ्वी की तह है, उसे मेंटल कहते हैं। इस मेंटल को तीन भागों में विभक्त किया गया है।


(1) मेस्जोफीयर- यह कोर के ऊपर की मेंटल की तह है। यह बहुत अधिक गर्म है।


(2 ) एस्थेनोस्फीयर- यह मेंटल की बीच की तह (layer) है। यहां चट्टानें गर्म हैं- नरम है और सीली पुट्टीय (silly putty) के समान स्थिति में रहते हैं।


(3) लिथोस्फीयर- ये मेंटल का सबसे ऊपर हिस्सा है, जो कड़क (rigid) ठोस स्थिति में हैं। इसे 8 प्रमुख प्लेट्स में विभाजित किया है। ये ठोस (solid) प्लेट्स, एस्थेनोस्फीयर पर तैरती हैं तथा 2.5 से 10 सेमी गति से विस्थापित होती हैं। इस प्रक्रिया में कभी वे आपस में टकराती हैं, कभी एक-दूसरे से दूर होती हैं। कभी एक दूसरे पर चढ़ती हैं


पर्पटी (crust)


 पर्पटी 'पृथ्वी' की सबसे ऊपर तह (layer) है। यह महाद्वीपों व महासागरों के नीचे अलग-अलग संरचनाएं होती हैं।


महाद्वीपीय पर्पटी (Continental Crust)


* औसत मोटाई 30 किमी


* पहाड़ों के नीचे मोटाई 64-90 किमी


* मरुस्थलों के नीचे 30-40 किमी


* समुद्री तटों की नीचे 25 किमी


महाद्वीपीय पर्पटी ग्रेनाइट व बेसाल्ट चट्टानों से बनी है।


महासागरीय पर्पटी (Oceanic Crust)


* औसत मोटाई- 5 किमी से 7 किमी


इसकी ऊपरी सतह में 800 मीटर मोटाई तक रेतीली संरचना (Sediments)


* समुद्र के नीचे औसत मोटाई- 3,800 मीटर तक


* मध्य सागरीय कटकों ( mid oceanic ridges) पर पर्पटी का लगातारबनना जारी रहता है। जहां सबसे पुरानी चट्टानें 200 मिलीयन वर्ष पुरानी।


* महाद्वीपीय पर्पटी बेसाल्टीक चट्टानों से बनी है।


* माल्टा के चूने के पत्थरों के चट्टानी इलाके में कार्ट रट्स कहे जाने वाले रेल की पटरियों के समान ट्रैक्स बने हैं। ये एक साथ दो होते हैं। ये ट्रैक्स 60 से मी तक गहरे व 110 से 140 से मी तक चौड़े हैं। ये करीब 2,000 वर्ष पुराने हैं।


* अमेरिका के उस क्षेत्र को 'डेथ वैली' कहते हैं, जहां तापमान 60° सेंटीग्रेड से भी ऊपर पहुंचा था। वह तारीख थी जुलाई 10,1913 इसी तरह अफ्रीका महाद्वीप के लीबिया देश के एजीजीया (Aziziya) शहर में भी सितंबर 12,1922 को, 60 डिग्री सेंटीग्रेड था।


* फिलीस्थान में मृत सागर (dead sea) के पास जैरिको शहर में 11,000 साल पुरान अवशेष मिले। संभवत: यह दुनिया का सबसे पुराना शहर हो। करीब 10,000 वर्ष पूर्व यहां बस्तियां रही होंगी। आज यह शहर समुद्र की स्तर से 200 मीटर नीचे स्थित है।