पिछले पहर का चांद

कहानी


कादम्बरी मेहरा


रक्षा सुबह छै बजे रसोई घर में आई। चाय की तलब थी तो केतली का बटन दबाया और अपना खास मग निकाला। देखा तो फ्रिज में दूध ख़तम हो गया था अतः वह बाहर गैराज वाले बडे फ्रिज से नई बोतल निकालने गयी। पिछला दरवाजा खोलते ही ठंडी हवा और चिड़ियों के कलरव ने उसका स्वागत किया। रात में शायद पानी बरसा होगा पर अभी आसमान साफ था। शाल को कस कर सर से लपेटा और ठिठुरती हुई चार कदम घास पार करके गैराज में गयी। जब लौटी तो उसे साथवाले घर से बच्चे के रोने की आवाज सुनाई दी।


आजकल नन्हा अलेक्स अक्सर बिफर जाता है। वह केवल डेढ़ वर्ष का है मगर उसके दुर्भाग्य से उसकी मां उसे छोड़कर कहीं चली गई है। उसका पिता डेविड उसे अकेले ही पाल पोस रहा है। बढापे की औलाद! उसका एकमात्र वंशदीप! डेविड के प्राण उसमें बसते हैं।


जाने कब से यह डेविड इस घर में रह रहा है। रक्षा और गौतम तो सिर्फ पंद्रह सालों से उनके पड़ोसी हैं। डेविड उन्हीं की उम्र का है। ब्रिटिश टेलीकॉम में इंजीनियर था और बेहद कुशल हैंडीमैन । रक्षा और गौतम की कोई टूट-फूट हो वह झट आकर ठीक कर देता। उसकी पहली पत्नी जेनेट स्कल में टीचर थी। चार वर्ष पहले वह कैंसर की लंबी बीमारी भुगत कर दुनिया से विदा हो गयी। डेविड ने 68 • प्रेरणा समकालीन लेखन के लिएउसकी देखभाल के लिए नौकरी से जल्दी अवकाश ले लिया था। बेचारे ने अपना तन मन धन निछावर कर दिया मगर उसे बचा नहीं पाया।


जेनेट एक हंसमुख मिलनसार स्त्री थी। दोनों घरों के बगीचों को अलग करनेवाली जो सांझी बाड़ थी, उसमें एक दरवाजा बना थाजब स्कूलों की छुट्टियां होती जेनेट उसी रास्ते रक्षा के पास आ जाती और गरम फूले फुल्के पर मक्खन और चीनी लगाकर पुतली बनाकर खाती। जीरे से छौंकी दाल उसे ख़ास पसंद थी। रक्षा ने अंग्रेजी भाषा आंखों से पढ़कर सीखी थी न कि कानों से सुनकर । इसलिए बोलने में बेहद मजे मजे की गलतियां कर जाती। पूरा वाक्य तो बनाती ही नहीं थी। आधे अधूरे से ही काम चला लेती। मगर इसके बावजूद दोनों में खूब छनती थी। गौतम को डेविड ने पब का रास्ता दिखा दिया था। जब इतवार को गौतम की कपड़ों की दूकान बंद होती वह शाम को घंटे दो घंटे जरूर डेविड के संग जाता था। जेनेट ने ही कह सुनकर रक्षा को भी हफ्ते में दो दिन नौकरी करने भेजा था। इससे रक्षा का आत्मविश्वास विकसित हुआ और वह यहां का ऐटीकेट भी सीख सकी।


अचानक जेनेट के बिगड़ते स्वास्थ्य ने उनके संबंधों पर तुषारापात कर दियारक्षा के बच्चे दोनों बड़े हो गए थे और यूनिवर्सिटी चले गए थे। जैसे-जैसे जेनेट घुलती गयी उनकी आवाजाही कमतर होती गयी। उसके निधन के बाद डेविड बिलकुल अंतर्मुखी हो गया। बगीचे में दिख जाता तो मुस्कान नदारद। फीकी सी गर्दन की नॉड से ही काम चला लेता। न बोलता न ठहरता। पब में गौतम को दिख जाता तो अकेला बैठा पेग पर पेग चढ़ाये जाता। पुराने दोस्त यार सब छूट गए थेडेविड बातें ही नहीं करता था। लोग उसकी खातिर इधर उधर की सुनाते तो उसकी निगाहें उनके कन्धों के पार भटक रही होती। लोग उसे उसके हाल पर छोड़कर खिसक जाते।


___ समय के साथ बहुत कुछ बदल जाता है। पब में एक नई वेट्रेस आ गयी। वह ईस्टर्न यूरोप के किसी देश से लन्दन में पैसे कमाने आई थी। अधिक पी लेने के कारण डेविड पब में देर रात तक बैठा रहता था। कभी ज्यादा बहक जाता तो पब का मालिक उसे अपनी ही कार में उसके घर छोड़ जाता। उसकी चाभी उसकी जेब से निकालकर खुद घर खोलता और उसे अंदर सुरक्षित बैठा कर चला जाता । रसोई में एक आरामकुर्सी खिड़की के पास ही रखी रहती थी। सुबह शाम डेविड यहीं बैठता और अखबार पढ़ता था। अक्सर नशे और थकान से निढाल होकर वहीं सो जाता।


___ कुछ दिन बाद नई वेट्रेस लिडिया उसे घर पहुंचाने आने लगी। वह लन्दन की ड्राइविंग पास कर चुकी थी। उसने डेविड का भरा पूरा घर आदि देखा तो समझ गयी कि यह मालदार आसामी है।


पियक्कड से कौन दोस्ती रखे? रक्षा और गौतम अपने ही में सिमट गएलिडिया डेविड का खूब ख्याल रखने लगी। सुबह के समय पब बंद ही रहता था अत: वह डेविड के घर की सफाई अदि करने लगी और ओवन में खाना भी बना देती। उसकी कमीजें इस्तरी कर देती। डेविड संभलने लगा। साल बीतते न बीतते वह वहीं रहने आ गयी। पब के मालिक और अन्य दोस्तों ने सलाह दी कि लड़की बुरी नहीं है। इस तरह लोगों की बतकही इधर उधर फैले, इससे तो वह शादी ही कर लें तो अच्छा। सो रक्षा और गौतम को एक दिन पब में आकर उनकी शादी की खुशी मनाने का निमंत्रण मिल गया।


डेविड खुश रहने लगा। वह साठ पार कर चुका था और लिडिया मुश्किल से तीस की होगी, मगर वह दोनों खुश थे तो दुनिया को क्या लेना देना।


सालभर बाद एक बेटा भी आ पहुंचा। जैनेट और डेविड तीस वर्ष तक साथ रहे थे मगर जैनेट मां नहीं बन सकी थी। अब इस उम्र में बेटा पाकर डेविड के तो पांव जमीन पर ही नहीं पड़ते थे। हर समय वह उस बच्चे को उठाये रहता। उसका नाम अलेक्स रखा। शॉपिंग करने जाते तो वही प्रेम फैल रहा होता।


लिडिया नित्य नए से नए फैशन करती। डेविड उसकी हर बात का मान रखता। मगर बस उसने अपनी पब की नौकरी नहीं छोड़ी। डेविड बच्चे को देख ही लेता था। एक साल पलक झपकते बीत गया।


अलेक्स का जन्मदिन खूब धूमधाम से मनाया गया। डेविड ने सभी पुराने मित्रों को बुलाया। जैनेट के भाई बहन भी आये। अस्सी वर्ष से ऊपर उम्र के डेविड के माँ बाप भी आये। सबने लिडिया को प्यार व उपहार दिए। नहीं आई तो डेविड की बड़ी बहन नोरा । उसने साफ लिख दिया कि उसे यह शादी मंजूर नहीं थी और यह विदेशी का बच्चा उसके परिवार का अंश कहलाने के योग्य नहीं।


डेविड और लिडिया की खुशी में कोई फर्क नहीं आया। वह अलेक्स को लेकर हर छुट्टी में घूमने फिरने जाते। अलेक्स चलने लगा तो रोज डेविड उसे पार्क की सैर करवाता, बत्तखों को दाना डालता। हजारों चित्र उसके उतारता।


मगर अचानक एक दिन लिडिया कहीं चली गयी। हर जगह डेविड अकेला ही नजर आता। अलेक्स उसी के पास था। सबने सोच लिया कि शादी करने के बाद वह अपने देश अपने घरवालों से मिलने गयी होगी। डेविड यही बहाना बनाता रहामगर उसकी उदासी किसी से छुपी न रही। दरअसल अलेक्स के आ जाने से डेविड ने पब में जाना बेहद कम कर दिया था। उसे लिडिया पर अटूट विशवास था। वह जैनेट से भी ज्यादा डेविड का ध्यान रखती थी। खाना बनाती. घर साफ रखती. पैसे धेले में कभी कोई गड़बड़ नहीं की। डेविड उसका और वह डेविड की बात का मान रखती। कोई समस्या थी ही नहीं। फिर यह कैसे हो गया?


बहुत दिन इंतजार करने के बाद आखिर डेविड ने कुछ तहकीकात की।लिडिया का घर सर्बिया में था। वह अपनी मां और बहनों से बराबर संपर्क रखती थी अतः उन्हीं से पूछापर उन लोगों को अंग्रेजी ठीक से नहीं आती थी। कोई संतोषजनक उत्तर नहीं मिला।


झेंपता कतराता वह पब के मालिक से मिला। उसने चंद शब्दों में बताया कि शायद कुछ महीनों पहले यूरोप से आनेवाली वाइन की डिलीवरी करवाते समय वह एक नौजवान ड्राइवर से अपनी भाषा में बहुत घुट घुट कर बातें कर रही थी। अगर डेविड चाहे तो उस कंपनी से पता चल सकता है। मगर डेविड पस्त सा होकर बोला कि उसे कुछ दिन और इंतजार कर लेना चाहिए। गौतम ने एक दिन उसके घर जाकर समझाया कि पुलिस को खबर कर देनी चाहिए। हो सकता है वह किसी दुर्योजना की शिकार हो गयी हो। किसी ने उसे किडनैप कर लिया हो या ड्रग आदि का चक्कर हो। डेविड ने बताया कि लिडिया अपना सभी जरूरी सामान लेकर गयी है। काफी पैसा भी बैंक से निकाला है। इसका मतलब वह अपनी मर्जी से गयी है। यद्यपि उनका कोई झगड़ा नहीं हुआ था।


गौतम और रक्षा उसकी भरसक मदद कर देते। वह अलेक्स के कारण घर पर ही बना रहता। सारा ध्यान उसकी परवरिश में लगा देने से उसका बगीचा एकदम झाड़ झंखाड़ से भर गया। पब के मालिक जोएल ने उसे जोर देकर समझाया कि वह पुलिस को बता देअगर वह कहीं मर मरा गयी तो डेविड पर इलजाम लग सकता थाडेविड के मन में एक बड़ी दुविधा यह थी कि कहीं सोशल सर्विस वाले उसे अनुपयुक्त अभिभावक मानकर उसका बच्चा न अलग कर दें। पर जोएल ने उसे आश्वासन दिया कि अलेक्स स्वस्थ और खुश था इसलिए उसका डर फिजूल है।


लिस को अधिक दिन नहीं लगे उसे खोजने में। वह अपने नए बॉय फ्रेंड के साथ क्रोएशिया के एक विशाल पांच सितारा होटल के पब में काम कर रही थीडेविड से शादी करके उसे ब्रिटेन की पक्की नागरिकता मिल चुकी थी। वह जब चाहेजहां चाहे आ जा सकती थी और ई य के सभी देशों में काम कर सकती थी। जब तक उसका डाइवोर्स नहीं हो जाता वह डेविड की पत्नी थी।


डेविड से पूछा गया कि क्या वह उसे पकड़वाना चाहेगा। डेविड का मुंह लाल हो गया। उसने इंस्पेक्टर से उल्टा प्रश्न किया मेरी जगह तुम होते तो क्या ऐसी विश्वासघातिनी को वापिस अपना लेते। इंस्पेक्टर को उत्तर नहीं सूझा। एक निश्चित अवधि तक अगर वह वापिस नहीं आती है तो उनकी शादी वैसे ही टूटी हुई मान ली जाएगी। लिडिया को कानून के हवाले करना बेकार था। गयी सो गयी।


बाद में डेविड ने गौतम से दिल खोलकर बातें कीं। भरे दिल से कहने लगा की गलती उसी ने की है। लिडिया अंग्रेजी में कमजोर थी। न ही उसकी पारिवारिक स्थिति अच्छी थी। वह सिर्फ सेवा उद्योग में खप सकती थी। उसे एक घर की जरूरत थी। एक कमरे का किराया देने में ही उसकी आधी कमाई निकल जाती थीडेविड ने उसपर तरस खाकर उसे घर में तो डाल लिया था मगर तीस बत्तीस वर्ष की युवती की सभी आकांक्षाएं वह कैसे पूरी कर सकता था? अलेक्स के आ जाने से वह शायद बंधन में बंध गयी थी। सुन्दर और सरल स्वभाव की लिडिया का किसी और के बहकावे में आ जाना स्वाभाविक बात थी। अगर वह किसी आपराधिक गैंग से जुड़ गयी हो तो बच्चे की सुरक्षा पर खतरा हो सकता है इसलिए उसने उसे वापिस बुलाने से साफ इनकार कर दिया। सबसे यही कहा कि उसने जीवन में भारी भूल कर दी थी। मालिक ने उसे जल्दी ही बचा लिया।


पब का मालिक जोएल अनुभवी आदमी था। डेविड की कथनी सुनकर उसने एक दिन एकांत में ले जाकर अपना संशय जताया। जैनेट से उसका कोई बच्चा नहीं हुआ थाअब शादी होते ही बासठ वर्ष का डेविड बाप बन गया। क्या यह मान लेने योग्य बात थी? डेविड ने उसका प्रतिवाद नहीं किया। चुपचाप एक प्राइवेट क्लिनिक में जाकर अलेक्स का डी एन ए टेस्ट करवाया। उसकी खुशी का ठिकाना न रहा जब रिपोर्ट में उसी के असली बाप होने की पुष्टि हो गयी। उसने पब में उत्सव मनाया, सबको फ्री राउंड पिलाया। नन्हें अलेक्स को गोद में उठाकर देर तक नाचा।


__ ठंड का मौसम शुरू हो गया था। अलेक्स दांत निकाल रहा था। रक्षा अक्सर उसकी देख भाल करती। वह रक्षा को पहचानता था। कुछ कुछ बोलने भी लगा था। डेविड को डा डा बुलाने लगा था। सारे घर में दौड़ता फिरता था। सीढ़ी पर चढ़ जाता मगर उतरने में रोने लगता। पेट के बल उल्टा कर दो तो फिसल फिसल कर नीचे आने में उसे बहुत मजा आता। डेविड की भाग दौड़ और उसकी मांगें दिन पर दिन बढ़ती जा रही थीं। फिर भी दोनों बेहद खुश थे।


उसकी बहन नोरा ने लिखा कि इस दोगले बच्चे को किसी को गोद दे दे और मुक्त होकर दुनिया की सैर करे। मगर डेविड को यह मंजूर नहीं हुआ। उसने नोरा से मुंह मोड़ लिया।


आज इतनी सुबह अलेक्स का रोना सुनकर रक्षा के मन में यह सारी बातें घुमड़ आईं। पर सुबह उठकर बच्चे का रोना तो एक साधारण बात है। रोना तो उनकी भाषा हैभूख लगे तो, गीले हो जाएं तो, अकेले पड़ जाएं तो। सहज मुस्कुराकर रक्षा अपने धंधों में लगी रही। गौतम का लंच बनाया। रोटी और सब्जीनाश्ते में भी उसे आमलेट और पराठा खाना होता है। आठ बजे जब वह घर से बाहर जाने लगा, रक्षा उसे बाई बाई करने दरवाजे तक आई। अलेक्स के रोने की आवाज वैसे ही आ रही थी। बल्कि वह और भी जोर जोर से रो रहा था।


रक्षा से रहा नहीं गया। बेहतर होगा अगर वह खुद जाकर देख ले। हाउस कोट पहने थी इसलिए पिछले दरवाजे से बाहर बगीचे का गेट खोलकर डेविड के घर में दाखिल हुई। कांच की बड़ी खिड़की से झांका। अंदर का दृश्य देखकर उसके पैरों तले जमीन खिसक गयी।


खिड़की के बगल में अंदर एक आराम कुर्सी पड़ी रहती थी जिसकी पीठ रक्षा की तरफ थी। इस कुर्सी के ऊपर दीवार में एक शेल्फ लगा था जिस पर सीरियल के डिब्बे रखे रहते थे। डेढ़ बरस का बच्चा जाने कैसे उस कुर्सी की पीठ पर चढ़ा हुआ था और ऊपर डिब्बों को हाथ मारे जा रहा था। उसके पैर रक्षा को दिखाई नहीं दिएकहां टिकाये था उसे समझ नहीं आया। बहुत उचक उचक कर देखा पर डेविड वहां नहीं दिखा। अरे! सुबह सुबह कहां गया? अगर बच्चा गिर पड़े तो! उसे चौंकाने या उसका ध्यान अपनी ओर खींचना खतरनाक हो सकता है।


रक्षा उलटे पैरों अपने घर वापिस आई। सामने के दरवाजे से डेविड की घंटी बजाई मगर कोई जवाब नहीं आया। तब हड़बड़ाकर उसने पुलिस को फोन किया। बदहवास सी अपनी टूटी फूटी अंग्रेजी में समझा पाई, "माय नेबर चाइल्ड अलोन इन द हाउस । क्राइंग क्राइंग आल मॉर्निंग टू हावर्स । कम क्विकली आर ही फाल्सही क्लाइंब चेयर।"


__ करीब पांच दस मिनट बाद पुलिस ने आकर डेविड की घंटी बजाई। उत्तर न आनेपर अपनी मास्टर की से दरवाजा खोला। दबे पांव वह लोग अलेक्स तक पहुंचे। अलेक्स उसी तरह बिलख रहा था। अंदर का दृश्य हृदय विदारक था!


डेविड अपनी कुर्सी में मरा पड़ा था। उसकी जुबान बाहर एक ओर लटक रही थीउसकी गोद में कल शाम का अखबार था। उसके सामने मेज पर एक कप था जिसमे उसने कल रात को होर्लिक्स पिया होगा। सुबह उठने पर अलेक्स वहां आया होगा और उसकी गोद में चढ़ा होगा। भूख के कारण बेहाल होने पर डेविड के कंधे पर पांव रखकर उसने सीरियल का डिब्बा लपकना चाहा होगा, मगर डिब्बा नीचे फर्श पर गिरकर बिखर गया था। बच्चा नीचे उतर नहीं पा रहा था। रक्षा ने उसे तुरंत गोद में ले लिया और पानी की बोतल उसके मुंह में लगाई। जब तक पुलिस अपनी पड़ताल करती एम्बुलेंस आदि को बुलाती, उसने अलेक्स को कॉर्नफ्लेक्स खिलाया और कपड़े बदलवाए।


अलेक्स बहुत थका हुआ थापेटभर जाने से उसे नींद आ गयी। तभी सोशल वर्कर आ गयी। डेविड को पुलिस एम्बुलेंस में ले जाया गया। एम्बुलेंस के डॉक्टर ने उसे मृत घोषित कर दिया मगर शव परीक्षण आदि तो जरूरी था। रक्षा अलेक्स को चिपकाये हुई रोती रही। तीन दिन तक वही अलेक्स की देख भाल करती रही बेचारा अलेक्स किसी को नहीं पहचानता था। रक्षा और गौतम ने सरकारी अफसरों को आश्वासन दिया कि जब तक कोई और बच्चे को गोद न ले ले वह उसकी जिम्मेदारी निभाते रहेंगे। मगर कानून के हिसाब से यह मान्य नहीं हुआ क्योंकि डेविड की वसीयत में केवल नोरा ही उसकी अभिभावक हो सकती थी।


___नोरा को खबर भेज दी गयी। मगर कहते हैं उसने आने से मना कर दिया। अगले दिन सोशल वर्कर सेरा गिब्स का फोन रक्षा के पास आया कि वह अलेक्स को ले जाने आएगी अतः उसे तैयार कर दे। रक्षा ने रोते रोते उसका सब जरूरी सामान समेटा, उसे नहलाया सजाया और दूध पिलाया। फिर थपक-थपक कर अपनी गोदी में सुला दिया। सेरा गिब्स ने सोये हुए बालक को उससे अलग किया। एक अन्य स्त्री पुलिस ने रक्षा की पीठ पर सांत्वना का हाथ फेरा और कुछ ही मिनटों बाद उसे छोड़कर विदा हो गईं।


डेविड की मौत एक रात पहले हार्टफेल से हुई थी।


अलेक्स को सरकारी अनाथालय में रख दिया गया।


एक स्वस्थ दो वर्ष से कम बालक को गोद लेने वालों की कमी नहीं थी। बहुत जल्द उसे एक संपन्न दम्पति ने अपना लिया।